द गर्ल इन रूम 105
अध्याय 18
पकौड़ा कांड के एक हफ्ते बाद हम अपनी बैठक में बैठे कोई रिएलिटी शो देख रहे थे छोटी लड़कियां मेकअप
किए आइटम सॉन्ग्स पर डांस कर रही थीं। सीजन का फिनाले चल रहा था और सौरभ की आंखें उस पर जमी हुई
थीं। मैं टीवी देखने के साथ ही अपने फ़ोन पर सर्फिंग भी कर रहा था। 'मुझे अपना फ़ोन दो, सौरभ ने कहा मैंने ध्यान नहीं दिया।
"तुम यह सब क्यों देखते हो? मुझे ऐसे शोज़ डिस्टबिंग लगते हैं, मैंने फोन पर आंखें जमाए कहा। 'डिस्टबिंग क्या है, ये तो मैं तुम्हें बताऊंगा, ' सौरभ ने मेरे हाथ से फोन छीनते हुए कहा।
"ये क्या है, गोलू?" "तुम फोन पर क्या कर रहे थे?"
"कुछ नहीं। बस यहीं देख रहा था कि मेरा लिंक्डइन प्रोफ़ाइल अप-टू-डेट है या नहीं।'
अपडेट करने को कुछ भी नहीं है। हमारा रेज्यूमे अभी तक वही सड़ा-गला है।" 'मैं सोच रहा था कि शायद एक नई तस्वीर अपडेट कर दूं।"
*बुलशिट तुम्हारे फोन पर ट्विटर स्क्रीन क्यों खुली हुई हैट" टीवी पर एक छोटी लड़की 'मुन्नी बदनाम हुई' पर थिरकने लगी। जजेस और ऑडियंस ने तालियों की
गड़गड़ाहट से उसे बीयर किया।
"ये बकवास गैरकानूनी क्यों नहीं मानी जाती है?" मैंने सौरभ के सवाल को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा
'मेरे सवाल का जवाब दो, भाई।'
मैंने बताया ना। मैं केवल अपने को अपडेट कर रहा है। करेंट अफेयर्स।" "हां, वो तो दिख रहा है। तुमने ट्विटर पर तेहरीक-ए-जिहाद सर्च किया हुआ है।'
"क्या मैंने ऐसा किया है
सौरभ ने टीवी बंद किया और मेरे सामने कॉफी टेबल पर बैठ गया। जरूरत से ज्यादा वजन झेलने से कॉफी
टेबल चरमरा गई। हो। भाई, मैं सुपर- सीरियस हूं,' सौरभ ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा, जैसे वो मुझे सम्मोहित करना चाहता
मैं नीचे देखता रहा।
'तुमने उस सनकी आदमी की गन देखी थी। तुम इस मामले के बारे में अब कभी बात नहीं करोगे।' *मैं बस ऐसे ही अपना फ़ोन देख रहा था।"
"टेररिस्ट ऑर्गेनाइजेशंस को सर्च करना बस केवल अपना फोन देखना है?"
'मुझे बस थोड़ी-सी जिज्ञासा थी। देखो, हम यह पहले ही जानते हैं कि सिकंदर तेहरीक से जुड़ा है। और जब मैंने जारा और तेहरीक़ के बारे में पूछा तो वो वहां से भाग गया। '
सौरभ ने अपने होंठों पर उंगली रख ली।
श भाई, मेरी बात सुनो, तुम पागल होते जा रहे हो।"
*PIT?"
'कुछ गड़बड़ी हुई। आतंकवादियों ने जारा को मार दिया। कहानी खत्म। अब तुम कभी भी इस बारे में नहीं करोगे। कभी भी कोई थ्योरीज़ नहीं, कोई एनालिसिस नहीं। बस इसको अपने दिमाग़ से साफ़ कर दो।" "लेकिन कैसे? मैं किसी और चीज़ के बारे में सोच ही नहीं पाता। मेरी जिंदगी में इसके अलावा कोई और
बात
चीज़ मायने ही नहीं रखती। मुझे किसी और चीज़ की परवाह नहीं।'